बहुत समय पहले की बात है, एक समृद्ध राज्य में राजा विक्रम और रानी सुमित्रा शासन करते थे। यह राज्य जादू और रहस्यों से भरा हुआ था। प्रजा सुखी थी, लेकिन अंधेरे में एक गहरी साजिश चल रही थी। मंत्री धृतराष्ट्र, जो वर्षों से राजा का विश्वासपात्र था, गुप्त रूप से सिंहासन पर कब्जा करने की योजना बना रहा था।

साज़िश की शुरुआत
राजा और रानी के महल में जादुई शक्ति से लैस एक अमूल्य पत्थर था, जो पूरे राज्य को सुरक्षित रखता था। धृतराष्ट्र ने इस पत्थर को चुराने के लिए काले जादू का सहारा लिया। उसने एक जादूगर से हाथ मिलाया और पूरे राज्य में भ्रम और आतंक फैलाना शुरू कर दिया।

रहस्यमयी योद्धा का आगमन
एक दिन, एक रहस्यमयी योद्धा राजमहल पहुंचा। उसका नाम अर्जुन था, जिसे राज्य की रक्षा करने के लिए नियति ने चुना था। उसने राजा और रानी को धृतराष्ट्र की साजिश के बारे में बताया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जादूगर ने अपना प्रभाव फैला दिया था, और राज्य संकट में था।

महान युद्ध और राजभवन का पतन

अर्जुन ने जादूगर और उसके सैनिकों से लड़ाई लड़ी। महल के अंदर एक रहस्यमयी गुफा में, अर्जुन को वह जादुई पत्थर मिला, जो राज्य को बचा सकता था। लेकिन जैसे ही उसने उसे उठाया, एक गुप्त दरवाजा खुल गया और धृतराष्ट्र की असली ताकत सामने आ गई।
चौंकाने वाला अंत

अर्जुन ने अपनी चतुराई से जादूगर को हराया और राजा-रानी को पुनः राज्य पर नियंत्रण करने में मदद की। लेकिन अंत में, जब धृतराष्ट्र को सजा देने का समय आया, तो राजा विक्रम ने उसे माफ कर दिया, जिससे पूरे राज्य में सुख-शांति लौट आई। परंतु, रहस्य अभी भी बाकी था – अर्जुन कौन था और वह कहां से आया था? कोई नहीं जानता… और शायद कोई कभी जान भी न पाए।
क्या अर्जुन सच में एक साधारण योद्धा था या वह स्वयं कोई जादुई शक्ति थी? यह रहस्य अनसुलझा ही रह गया…
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