रंगों के रिश्ते से प्यार तक की कहानी
होली की पुरानी सुबह का अंदाज
निशांक की गलियारी का होली का त्योहार हर साल का करीबी त्योहार था। उसकी गली में हर कोई इस दिन का इंतजार करता था। रंगों की बौछार, गुझिया की मिठास और ढोल की थाप के बिना होली अधूरी सी लगती थी। इस साल की होली पर कुछ अलग ही माहौल बनने वाला था।
प्यार की शरारतें और मीठी नोकझोंक
विशाल और निशांक की दोस्ती जगजाहिर थी।
दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त थे, लेकिन विशाल के दिल में निशांक के लिए खास जज्बात थे। ह
र साल होली पर विशाल, निशांक को रंगने का बहाना ढूंढता था।
इस साल भी विशाल ने ठान लिया था कि वो सबसे पहले निशांक को रंगेगा।
लेकिन निशांक हर बार उसकी चालाकी समझ जाती थी।
जैसे ही विशाल उसके करीब आता, निशांक अपनी सहेलियों के साथ मिलकर उसे ही रंगों में डुबो देती थी।
इस नोकझोंक में दोनों के बीच की नजदीकियां और बढ़ गई थीं।

एक शरारत बनी परेशानी रंगो का त्यौहार होली
इस साल विशाल ने निशांक को सबक सिखाने की ठानी।
उसने अपनी टीम के साथ मिलकर पानी की बाल्टियों में रंग घोलकर छत पर रख दिया था।
जैसे ही निशांक अपनी सहेलियों के साथ गली में आई, विशाल ने ऊपर से पानी गिरा दिया।
निशांक का पूरा चेहरा और कपड़े रंगों में भीग गए।
पहले तो सब हंसने लगे, लेकिन अचानक निशांक की आंखों में जलन होने लगी।
कोई नहीं जानता था कि विशाल ने गलती से ऐसा रंग इस्तेमाल कर लिया था जो आंखों में लगने पर परेशानी पैदा कर सकता था।
डरावना मोड़ और चिंता का माहौल
निशांक की आंखों में जलन बढ़ने लगी और वो दर्द से चीख पड़ी।
घर के लोग और आस-पड़ोस वाले तुरंत निशांक को घर ले गए।
डॉक्टर को बुलाया गया और पूरी गली में तनाव छा गया।
विशाल का दिल बैठ गया था, उसे अपनी गलती का अहसास हो चुका था।
डॉक्टर ने बताया कि निशांक की आंखों में गहरा रंग चला गया था, लेकिन चिंता की बात नहीं थी।
सही समय पर इलाज के कारण उसकी आंखें सुरक्षित रह गईं।
मेहनत से तरक्की, लालच से बर्बादी
पछतावे का सबक रंगो का त्यौहार होली
विशाल को अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था। वो निशांक के घर जाकर माफी मांगने लगा। निशांक की मां ने विशाल को समझाया कि होली प्यार का त्योहार है, न कि किसी को चोट पहुंचाने का।
विशाल ने हाथ जोड़कर माफी मांगी और वादा किया कि आगे से ऐसा कभी नहीं होगा।
प्यार का इकरार और खुशियों की बहार
कुछ दिन बाद निशांक की तबीयत ठीक हो गई।
विशाल उसके घर मिठाइयां और गुलाब का फूल लेकर पहुंचा। निशांक ने पहले उसे खूब डांटा लेकिन फिर मुस्कुरा दी। उस दिन होली के रंगों ने दोनों के रिश्ते में एक नई चमक भर दी।
होली के रंग, मस्ती और प्यार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गलतियों को सुधारने और प्यार को महसूस करने का सबसे खूबसूरत मौका होता है ये त्योहार।
1. होली का क्या महत्व है?
होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है जिसे ‘रंगों का त्योहार’ कहा जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच प्यार और भाईचारे को बढ़ावा देना है।
2. होली का पर्व कब मनाया जाता है?
होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च महीने में पड़ता है।
3. होली का धार्मिक महत्व क्या है?
होली का धार्मिक महत्व प्रह्लाद और होलिका की कथा से जुड़ा है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, लेकिन भक्त प्रह्लाद की भक्ति के कारण होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित रहे। इस घटना के प्रतीक के रूप में होली पर होलिका दहन किया जाता है।
4. होली को कैसे मनाया जाता है?
होली दो दिनों तक मनाई जाती है:
दूसरा दिन: इसे रंगों वाली होली या धुलेंडी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाकर बधाई देते हैं।
पहला दिन: इसे होलिका दहन या छोटी होली कहा जाता है। इस दिन रात को लकड़ी और उपले जलाकर होलिका दहन किया जाता है।
5. होली पर कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं?
होली के खास पकवानों में गुझिया, मालपुआ, ठंडाई, दही भल्ला, पापड़ और तरह-तरह के नमकीन स्नैक्स बनाए जाते हैं।