💪 “सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जो मेहनत को अपना धर्म मानते हैं! 🚀

भाग 1: संघर्ष की शुरुआत
किशनपुर गाँव में रहने वाला रवि बचपन से ही तेज़ दिमाग़ का था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। उसके पिता एक छोटे किसान थे, और माँ घर-घर जाकर काम करती थीं।
स्कूल की फीस भरना मुश्किल था, किताबें तक उधार लेनी पड़ती थीं। लेकिन रवि को पढ़ाई में इतना मन था कि वह रात-रात भर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ता था।
एक दिन, जब वह स्कूल की फीस न भर सका, तो टीचर ने उसे क्लास से बाहर निकाल दिया। उस दिन रवि ने खुद से वादा किया – “मैं ज़िंदगी में कुछ बड़ा करूंगा!”

भाग 2: मेहनत और धैर्य
रवि ने स्कूल के बाद छोटे-मोटे काम करने शुरू किए—अख़बार बेचना, चाय की दुकान पर काम करना, ट्यूशन पढ़ाना। सुबह स्कूल, शाम को काम, और रात में पढ़ाई!
12वीं में टॉप किया, लेकिन कॉलेज की फीस के लिए पैसे नहीं थे। उसने सरकारी स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया और सेलेक्ट हो गया। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, लेकिन मन में हमेशा एक सपना था—खुद का बिज़नेस शुरू करने का!

भाग 3: असफलता और सीख
कॉलेज के बाद रवि ने नौकरी की, लेकिन एक साल बाद उसने अपनी सेविंग से एक छोटा स्टार्टअप शुरू किया—एक टेक कंपनी!
पहला साल पूरी तरह असफल रहा। उसे कर्ज़ लेना पड़ा, दोस्त तक छोड़कर चले गए। कई बार उसने हार मानने की सोची, लेकिन माँ हमेशा कहतीं, “मुश्किलें तो आती हैं, पर जो रुक जाता है, वो हार जाता है!”

भाग 4: सफलता की उड़ान
रवि ने मार्केट की ज़रूरतों को समझा और अपनी कंपनी की रणनीति बदली। धीरे-धीरे लोग उसके प्रोडक्ट्स को पसंद करने लगे। 5 सालों में वह एक सफल बिज़नेसमैन बन चुका था, और उसकी कंपनी करोड़ों की कमाई कर रही थी।
जिस स्कूल से उसे फीस न भरने के कारण निकाला गया था, आज वहीं उसने गरीब बच्चों के लिए एक फ्री एजुकेशन फंड शुरू किया!
जब उसके पिता पहली बार उसके लक्ज़री ऑफिस में आए, तो उनकी आँखों में आंसू थे।

रवि ने कहा, “पापा, जब इंसान ठान ले, तो हालात नहीं, हौसले उसकी किस्मत लिखते हैं।“
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👉 "यह कहानी है रवि की, जिसने गरीबी और संघर्षों को पार कर अपनी सफलता की कहानी लिखी। जानिए उसकी पूरी प्रेरणादायक यात्रा।"
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