मस्ती से जिम्मेदारी तक: एक सरारती लड़के की कहानी,The story of a naughty boy
एक सरारती लड़के की कहानी जो एक दिल दहला देने वाली घटना के बाद एक जिम्मेदार इंसान बन जाता है।
बचपन की शरारतें
राहुल एक बेहद शरारती लड़का था। बचपन से ही उसे मस्ती करना और दोस्तों के साथ शरारतें करने में मजा आता था। उसकी शरारतों की वजह से स्कूल में उसकी अच्छी-खासी पहचान थी। कभी किसी के जूते में कागज भर देना, तो कभी क्लास के डस्टर से चेहरों पर रंग लगा देना — ये सब उसके लिए रोज़मर्रा की बात थी।
उसके माता-पिता उसकी शरारतों से परेशान थे, लेकिन राहुल को अपनी हरकतों पर गर्व था।
शरारतों का बढ़ता सिलसिला ,
समय बीतने के साथ राहुल की शरारतें खतरनाक होती चली गईं।
अब वो अपनी मस्ती में दूसरों की परेशानियों को नजरअंदाज करने लगा था। दोस्तों के साथ सड़कों पर पटाखे फोड़ना, गलियों में कांच फेंकना और पड़ोसियों को परेशान करना उसके लिए आम हो चुका था।
उसके दोस्तों का समूह भी उसकी तरह ही था — बिना सोचे-समझे बस मस्ती में डूबे रहना।

वह खतरनाक दिन , Naughty boy
एक दिन राहुल और उसके दोस्त पास के जंगल की ओर घूमने गए।
वो सब मिलकर वहां खूब मस्ती कर रहे थे। अचानक राहुल को एक खुराफाती आइडिया आया।
उसने एक पुरानी लकड़ी की झोपड़ी देखी और अपने दोस्तों को वहां जाकर धुआं फैलाकर डराने का प्लान बताया।
“चलो मजा आएगा!” उसके दोस्तों ने उसका समर्थन किया।
राहुल ने पास से कुछ सूखी घास इकट्ठी की और उसे झोपड़ी के पास जलाना शुरू किया।
पहले तो हल्का-सा धुआं उठा, लेकिन देखते ही देखते आग भड़क गई।
“अरे ये तो सच में जलने लगी!” एक दोस्त चिल्लाया।
आग तेजी से फैलने लगी। लपटें इतनी ऊंची हो गईं कि सभी के होश उड़ गए। पास के पेड़ भी आग पकड़ने लगे।
डरावना मोड़
राहुल और उसके दोस्त भागने ही वाले थे कि राहुल को झोपड़ी के अंदर से किसी के रोने की आवाज सुनाई दी।
“अंदर कोई है!” राहुल घबरा गया।
बिना कुछ सोचे-समझे वह आग के बीच भागा और झोपड़ी में घुस गया।
वहां एक छोटा बच्चा कोने में सहमा बैठा था। राहुल ने उसे गोद में उठाया और तेजी से बाहर की ओर दौड़ा।
आग की लपटों के बीच से निकलते हुए उसकी बाजू जल गई, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
आखिरकार राहुल बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाल लाया।
बच्चे के माता-पिता वहां पहुंच चुके थे और राहुल के इस साहसिक कदम के लिए उन्होंने उसका आभार प्रकट किया।
जिम्मेदारी का एहसास
इस घटना ने राहुल को झकझोर कर रख दिया। उसकी शरारत लगभग एक जान लेने वाली थी।
उस रात उसने खुद से वादा किया कि अब वह अपनी हरकतों से किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
उसने अपने दोस्तों को भी समझाया कि मस्ती के नाम पर कभी भी ऐसी गलती न करें जिससे किसी को हानि पहुंचे।
एक नई शुरुआत
राहुल अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा। वह समाज सेवा से जुड़ा और जरूरतमंद बच्चों की मदद करने लगा। उसकी शरारतें अब समझदारी में बदल चुकी थीं। राहुल के माता-पिता को अब अपने बेटे पर गर्व महसूस होता था।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
इस कहानी का मुख्य संदेश यह है कि शरारतें मजाक तक ही सीमित होनी चाहिए। लापरवाही से बड़ी दुर्घटना हो सकती है, और हमें अपनी जिम्मेदारी का एहसास करके सही दिशा में बढ़ना चाहिए।
2. राहुल के जीवन में क्या बदलाव आया?
राहुल, जो पहले केवल शरारतों में डूबा रहता था, घटना के बाद एक जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति बन गया।
3. इस कहानी का शीर्षक क्या दर्शाता है?
“मस्ती से जिम्मेदारी तक” शीर्षक यह दर्शाता है कि एक साधारण शरारती लड़के की जिंदगी में एक घटना ने उसे पूरी तरह बदल दिया।
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