भारत के एक सुदूर गाँव, जिसे लोग ‘कालगाँव’ के नाम से जानते थे, वहाँ की रातें किसी भयानक सपने से कम नहीं थीं।
दिन में यह गाँव एक आम गाँव की तरह दिखता था—खुशहाल, शांतिपूर्ण और अपनी परंपराओं से जुड़ा हुआ।
लेकिन रात होते ही यह एक डरावनी जगह में बदल जाता। लोग दरवाजे बंद कर लेते, खिड़कियों पर मोटे पर्दे डाल देते और सन्नाटे में डूब जाते।

रातों का खौफ
कई हफ्तों से गाँव में अजीब घटनाएँ हो रही थीं। हर रात किसी न किसी पशु का खून हो जाता। कभी किसी का बैल, तो कभी किसी की बकरी।
खून से सने अवशेष देखकर लोगों की रूह काँप जाती।
गाँव के बुजुर्गों का कहना था कि यह किसी आत्मा का प्रकोप है।
डर धीरे-धीरे इस कदर बढ़ गया कि सूरज डूबते ही लोग अपने घरों में कैद हो जाते।
बच्चों को बाहर न जाने की सख्त हिदायत थी। गाँव के चौपाल पर बस एक ही चर्चा थी—यह कौन कर रहा है? क्या सच में कोई प्रेत आत्मा गाँव पर गुस्सा है?

अजनबी की दस्तक
एक दिन, गाँव में एक अनजान व्यक्ति आया। उसका नाम अर्जुन था।
उसने सुना था कि यह गाँव डर के साये में जी रहा है, और उसने इस रहस्य को सुलझाने का बीड़ा उठाया।
अर्जुन बहादुर और चतुर था।
उसने गाँववालों से बातें कीं और हर रात जागने का फैसला किया।

पहली रात की निगरानी
अर्जुन ने अपनी पहली रात गाँव के चौपाल से दूर एक पेड़ के नीचे बिताई।
वह चुपचाप देख रहा था, जब आधी रात के करीब उसे किसी की परछाई दिखाई दी।
वह फौरन सतर्क हो गया। लेकिन वह परछाई जल्द ही अंधेरे में गुम हो गई।

रहस्य धीरे-धीरे खुल रहा था
दूसरी रात, अर्जुन गाँव के पश्चिमी छोर पर गया।
इस बार उसने देखा कि दो लोग किसी चीज़ को ढूंढ रहे थे। वह उनके पास पहुँचा और उन्हें पकड़ लिया।
जब उसने उनके चेहरों को देखा तो वह चौंक गया—वे गाँव के ही दो बच्चे थे।
“तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?” अर्जुन ने सख्त लहजे में पूछा।
“हमने कुछ नहीं किया! हमें माफ कर दो!” बच्चों ने रोते हुए कहा।
अर्जुन को एहसास हुआ कि वे निर्दोष हैं। उन्होंने उसे बताया कि वे सिर्फ यह देखने आए थे कि कौन इन घटनाओं को अंजाम दे रहा है।
अर्जुन ने उन्हें जाने दिया, लेकिन उसने तय कर लिया कि अगली रात वह इस रहस्य को पूरी तरह से उजागर करके रहेगा।

आखिरी रात—जिसका सबको डर था
उस रात गाँव का माहौल अजीब था। हवा ठंडी थी और पूरा गाँव सन्नाटे में डूबा हुआ था।
अर्जुन ने एक ऊँचे पेड़ पर बैठकर निगरानी करने का फैसला किया।
अचानक, उसने देखा कि गाँव के बाहरी इलाके से एक परछाई गाँव में दाखिल हो रही है।
यह कोई इंसान नहीं था, बल्कि एक बड़ा जंगली जानवर था—शायद कोई तेंदुआ! लेकिन इसके साथ कोई और भी था।
अर्जुन ने अपनी मशाल जलाई और तेजी से आगे बढ़ा। जब उसने नजदीक जाकर देखा तो उसके होश उड़ गए।
यह कोई आत्मा नहीं थी, बल्कि एक आदमी था जो गाँव के जानवरों को मारने के लिए जंगली तेंदुए को साथ लाया करता था।
अर्जुन ने अपनी सूझबूझ से उसे धर दबोचा।
जब अर्जुन ने उससे सख्ती से पूछताछ की, तो सच्चाई सामने आई।

पुरानी दुश्मनी का खेल
वह आदमी गाँव से कुछ दूर बसे एक और गाँव का था।
उसकी इस गाँव के एक व्यक्ति से पुरानी दुश्मनी थी।
बदला लेने के लिए उसने एक भयानक योजना बनाई।
पहले उसने उस व्यक्ति के जानवरों को मरवाया, फिर धीरे-धीरे पूरे गाँव में डर फैलाया, ताकि लोग इसे किसी भूत-प्रेत का काम समझें।
गाँववालों ने जब यह सच सुना तो वे स्तब्ध रह गए। उनकी आँखों में गुस्सा और डर दोनों थे।
अर्जुन ने गाँववालों की मदद से उस आदमी को पकड़वा दिया।
उसके अपराधों की सजा उसे मिली, और गाँव फिर से अपनी पुरानी शांति की ओर लौट आया।

लेकिन डर की परछाई अभी भी थी…
भले ही वह अपराधी पकड़ा गया, लेकिन गाँव की रातें अब भी डरावनी लगती थीं।
लोगों को लगता था कि कहीं वह तेंदुआ फिर से वापस न आ जाए… या शायद उस अजनबी का कोई और साथी हो, जो इस साजिश में शामिल था।
रहस्य सुलझ चुका था, पर एक सवाल अब भी हवा में तैर रहा था—क्या यह अंत था या सिर्फ एक नई शुरुआत?

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2 thoughts on “रहस्यमयी गाँव का खौफनाक सच”